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कैदी से ‘मुलाकात का वक्त खत्म…’ नहीं होगा!

दैनिक ट्रिब्यून विशेष शशिकांत/ट्रिब्यून न्यूज सर्विस शिमला, 9 जुलाई। जेल में बंद किसी कैदी से मिलने गए उसके रिश्तेदारों को हिन्दी फिल्मों में बोले जाने वाले मशहूर डायलॉग ‘मुलाकात का वक्त खत्म हुआ’ के अब हिमाचल की जेलों में बंद कैदियों के लिए शायद ही कोई मायने रहे। हिमाचल पुलिस द्वारा बनाई गई एक योजना […]
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दैनिक ट्रिब्यून विशेष

शशिकांत/ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
शिमला, 9 जुलाई। जेल में बंद किसी कैदी से मिलने गए उसके रिश्तेदारों को हिन्दी फिल्मों में बोले जाने वाले मशहूर डायलॉग ‘मुलाकात का वक्त खत्म हुआ’ के अब हिमाचल की जेलों में बंद कैदियों के लिए शायद ही कोई मायने रहे। हिमाचल पुलिस द्वारा बनाई गई एक योजना के तहत कैदियों से अब उनके घर वाले वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए घर से ही सीधे बातचीत कर सकेंगे। देश में पहली बार शुरू की जा रही इस योजना के लिए हिमाचल पुलिस ने नेशनल इंफॉरमेटिक सेंटर (एनआईसी) की मदद से ऐसी व्यवस्था की है कि प्रदेश की हर जेल को किसी भी व्यक्ति के कंप्यूटर या लैपटॉप से सीधा जोड़ा जा सके। इस सुविधा को जल्दी ही शुरू कर दिया जाएगा।
प्रदेश के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कारागार) एसआर मरढ़ी ने संपर्क साधे जाने पर बताया कि वीडियो कांफ्रेंसिंग की इस सुविधा को हिमाचल की सभी जेलों में एक साथ शुरू किए जाने की योजना है। दैनिक ट्रिब्यून से की गई एक बातचीत में उन्होंने बताया कि अभी तक देश में कहीं भी इस तरह की सुविधा की शुरुआत नहीं की गई है। एनआईसी ने इसके लिए पूरी तैयारियां कर ली हैं।
हिमाचल में एक दर्जन के करीब जेल हैं। इनकी क्षमता हालांकि 1626 कैदियों की है लेकिन इस समय 1811 कैदी रह रहे हैं। इनमें 1747 पुरुष कैदी और 64 महिला कैदी है। सबसे अधिक कैदी शिमला के निकट कांडा जेल में बंद है। यहां इस समय 391 कैदी रह रहे हैं। इसके बाद नाहन जेल का नंबर आता है। इस जेल में बंद कैदियों की संख्या 375 है। उधर धर्मशाला जेल में 282, मंडी में 122, सोलन में 114, चंबा में 105 और बिलासपुर में 164 कैदी बंद है।
लम्बी सजा काट रहे कैदियों को घर वालों से मिलने के लिए जहां पैरोल पर घर जाने की इजाजत दी जाती है वहीं कानून में यह प्रावधान भी है कि उनके घर वाले जेल विभाग की अनुमति से उन्हें मिलने के लिए जेल भी आ सकते हैं। इन कैदियों से मिलने के लिए मुलाकात का वक्त निर्धारित होता है। जिस समय इनकी घरवालों से मुलाकात होती है उस समय जेल का कोई कर्मचारी भी वहां उपस्थित रहता है।
जैसे ही मुलाकात का वक्त खत्म होता है वह कैदी को वापस उसकी बैरक में ले जाता है। इस सारे काम में जहां रिश्तेदारों को अनुमति हासिल करने से लेकर जेल आने तक काफी औपचारिकताओं को पूरा करना पड़ता है वहीं कई तरह की परेशानियां भी झेलनी पड़ती हैं। जेलों में शुरू होने वाली वीडियो कांफ्रेंसिंग के बाद कैदियों के परिजन घर बैठे ही न केवल उनसे बातचीत कर पायेंगे बल्कि उनका चेहरा भी देख पाएंगे। जेल विभाग का मानना है कि इससे कैदी और उसके रिश्तेदारों के साथ-साथ उसका काम भी आसान हो जाएगा।  आधिकारिक सूत्रों के अनुसार एनआईसी द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग के लिए हर जेल को एक अलग पासवर्ड और कोड दिया जाएगा। जिस भी व्यक्ति को कैदी के साथ बातचीत करने की अनुमति दी जाएगी उसे उसके कंप्यूटर या लैपटॉप के जरिए जेल में स्थापित किए गए कंप्यूटर सिस्टम से जोड़ दिया जायेगा। इसके बाद फिर वीडियो कांफे्रंसिंग के जरिए दोनों पक्षों के बीच बातचीत हो सकेगी। जेल विभाग इस सारी बातचीत को रिकॉर्ड करके एक दस्तावेज के तौर पर इसे अपने पास भी रख सकेगा।

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